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Saturday, May 28, 2016

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प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने आज प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना को मंजूरी दे दी, जो किसानों के कल्याण के लिए लीक से हटकर एक अहम योजना है।   


किसान हितैषी सरकार का नया तोहफा
·         आज लोहिड़ी, पोंगलएवंबीहूजैसेत्यौहारों के शुभ अवसरपरकिसानहितैषीसरकारने  किसानोंको प्रधानमंत्रीफसलबीमा योजना केरूपमें एक बड़ातोहफादिया। यह योजना खरीफ2016 से लागूहोगी।
·         किसानों के लिए बीमा योजनाएं समय-समय पर बनती रहीं हैं, किंतु इसके बावजूद अब तक कुल कवरेज 23 प्रतिशत हो सका है।
·         सभी योजनाओं की समीक्षा कर अच्छे फीचर शामिल कर किसान हित में और  नए फीचर्स जोड़कर फसल बीमा योजना बनाई गई है इस प्रकार यह योजना पुरानी किसी भी योजना से किसान हित में बेहतर है।
·         प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के अंतर्गत  फसल के अनुसार किसान द्वारा देय प्रीमियम राशि बहुत कम कर दी गई है जो निम्नानुसार हैः-
क्र. सं.
फसल
किसान द्वारा देय अधिकतम बीमा प्रभार (बीमित राशि का प्रतिशत)
1
खरीफ
2.0%
2
रबी
1.5%
3
वार्षिक वाणिज्‍यिक एवं बागवानी फसलें
5%

·       वर्ष 2010 से प्रभावी Modified NAIS में प्रीमियम अधिक हो जाने की दशा में एक कैप निर्धारित रहती थी जिससे कि सरकार के द्वारा वहन की जाने वाली प्रीमियम राशि कम हो जाती थी, परिणामतः किसान को मिलने वाली दावा राशि भी अनुपातिक रूप से कम हो जाती थी।
      उदाहरण के लिए उत्तर प्रदेश के ललितपुर जिले में धान की फसल के लिए 22 प्रतिशत Actuarial Premium था। किसान को 30 हजार रुपए के Sum Insured पर कैप के कारण मात्र 900 रुपए और सरकार को 2400 रुपए प्रीमियम देना पड़ता था। किंतु शतप्रतिशत नुकसान की दशा में भी किसान को मात्र 15 हजार रुपए की दावा राशि प्राप्त होती।
    प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में 30 हजार Sum Insured पर 22 प्रतिशत  Actuarial Premium आने पर किसान मात्र 600 रुपए प्रीमियम देगा और सरकार 6000 हजार रुपए का प्रीमियम देगी। शतप्रतिशत नुकसान की दशा में किसान को 30 हजार रुपए की पूरी दावा राशि प्राप्त होगी । अर्थात उदाहरण के प्रकरण में किसान के लिए प्रीमियम 900 रुपए से कम होकर 600 रुपए।  दावा राशि 15000 रुपए के स्थान पर 30 हजार रुपए।
·         बीमित किसान यदि प्राकृतिक आपदा के कारण बोनी नहीं कर पाता तो यह जोखिम भी शामिल है  उसे दावा राशि मिल सकेगी।
·         ओला,जलभराव और लैण्ड स्लाइड जैसी आपदाओं को स्थानीय आपदा माना जाएगा।  पुरानी योजनाओं के अंतर्गत यदि किसान के खेत में जल भराव (पानी में डूब)  हो जाता तो किसान को मिलने वाली दावा राशि इस पर निर्भर करती कि यूनिट आफ इंश्योरेंस (गांव या गांवों के समूह) में कुल नुक्सानी कितनी है। इस कारण कई बार नदी नाले के किनारे या निचले स्थल में स्थित खेतों में नुकसान के बावजूद किसानों को दावा राशि प्राप्त नहीं होती थी। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में इसे स्थानीय हानि मानकर केवल प्रभावित किसानों का सर्वे कर उन्हें दावा राशि प्रदान की जाएगी।
·         पोस्ट हार्वेस्ट नुकसान भी शामिल किया गया है। फसल कटने के 14 दिन तक यदि फसल ख्रेत में है और उस दौरान  कोई आपदा जाती है तो किसानों  को दावा राशि प्राप्त हो सकेगी
·         योजना में टैक्नोलॉजी का उपयोग किया जाएगा जिससे की फसल कटाई/नुकसान का आकलन शीघ्र और सही हो  सके और किसानों को दावा राशि त्वरित रूप से मिल सके। रिमोट सेंसिंग के माध्यम से फसल कटाई प्रयोगों की संख्या कम की जाएगी।
फसल कटाई प्रयोग के आंकड़े तत्कल स्मार्टफोन के माध्यम से अप-लोड कराए जाएंगे।

पशुपालन

गरीब, गरजू व अडाणी शेतकरी, शेतमजूर ह्यांच्याकडे एखाददुसरी गायम्हैस, २-३ शेळ्या, ४-५ कोंबड्या असतातच. मग ह्या असलेल्याच पशुधनाकडे थोडे लक्ष दिले, त्यांचे थोडे व्यवस्थापन केले तर हेच पशुधन घरासाठी कसा आर्थिक हातभार देऊ शकते, हे ह्या पदवी अभ्यासक्रमात शिकायला मिळते. पशुपालनामध्ये दुग्धोत्पादनाबरोबरच मांसासाठी शेळीपालन, कोंबडीपालन, बटेरपालन, ससेपालन ह्या पर्यायांवरही भर देण्यात आला आहे व मुख्य म्हणजे हे सहज व सोपेही आहे, हे दाखवून देण्याचा प्रयास आहे.
ग्रामीण भागातील लोकांना डोळ्यासमोर ठेवून त्यांच्याकडेच असलेल्या उपलब्ध साधनसामग्रीच्या आधारे, कमी पैशांमध्ये व कमी खर्चात पशुपालन कसे करायचे हे अनिरुध्दबापूंनी आखून दिलेल्या ह्या अभ्यासक्रमात आपल्याला शिकायला मिळते. त्यामुळे ग्रामीण भागातील शिक्षित अथवा अशिक्षित शेतकरी सहजरित्या पशुपालनाकडे आकृष्ट होऊ शकतो व त्याच्या आधारे आपली परिस्थिती सुधारू शकतो.